रेशम का धागा
रेशम
का धागा बुनते जा रहे हो।
हर
किसी की सुनते जा रहे हो।
उँगलियों
के निशान बोल उठे।
कागज
पर सितम जो लिखते जा रहे हो।
दिल
की सोच को अब सोच ही रखना।
हर
दिन कँधों पर अब बोझ रखना।
सब
से झूठे वादे करते जा रहे हो।
कागज
पर सितम जो लिखते जा रहे हो।
नींद
भी मुझको अब आ रही है।
याद
भी मुझको अब सता रही है।
तुम
क्या और किसको बता रहे हो।
कागज
पर सितम जो लिखते जा रहे हो।
दिन
होगा फिर होगा सवेरा।
आँखों
में मेरी फिर भी अँधेरा।
तुम
कौन सी राह जा रहे हो।
कागज
पर सितम जो लिखते जा रहे हो।
थक
कर मैं भी अब सोने लगा।
हसती
जो अपनी खोने लगा।
तुम
क्यों फरिश्तों को उठा रहे हो।
कागज
पर सितम जो लिखते जा रहे हो।
खत्म
हो रही मेरी जवानी।
मोहब्बत
में मिली यह निशानी।
कौन
से जख्म भरते जा रहे हो।
कागज
पर सितम जो लिखते जा रहे हो।
हवा
संग दोस्ती है अब हमारी।
दुनिया
से दोस्ती हुई पुरानी।
अब
तुम किस से दोस्ती करते जा रहे हो।
कागज
पर सितम जो लिखते जा रहे हो।
टूट
कर बिखर गया मैं अब।
किसी
ने जिकर किया है जब।
सिर
अब दोबारा क्यों उठा रहे हो।
कागज
पर सितम जो लिखते जा रहे हो।
जा
रहा है सामने से कारवाँ।
मैं
क्यों रूका हुआ हुँ यहाँ।
किसका
इंतजार, कैसी उम्मीद जगा रहे हो।
कागज
पर सितम जो लिखते जा रहे हो।
Vishal Kaushal
यह मेरी कविताओ की पहली किताब हैं। मैंने अपनी कविताओ के माध्यम से अपनी सोच को कागज पर ब्यान कर रहा हूँ। वक्त गुजरता गया चेहरा बदलता गया सोच बदलती गयी। नए लोग मिले, नए दोस्त बने पर कुछ लोग जिन्हें मैं आज भी याद करता हूँ और जिन्हें मैं आज भी याद हूँ।
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