दास्तान–ए इश्क
दास्तान–ए इश्क अब सुनाई नहीं जाती
हर किसी को दिल की बात बताई नही जाती
दोस्त फिकरे कसते हैं मुझ पर
इन से दोस्ती जो निभाई नहीं जाती
दास्तान–ए इश्क अब सुनाई नहीं जाती।
करते है सजदे, मगर दुआ नहीं आती
सुनाते वक्त शायरी भीं नहीं आती
दूर है वो मुझसे कुछ इस तरह
मगर भुलने पर भुलाई नहीं जाती
दास्तान – ए इश्क अब सुनाई नहीं जाती ।
पास आने पे वो और दूर चली जाती
रास्ते ही रास्ते मंजिल क्यों नज़र नहीं आती
बुझ गए हैं सब दिए
हवा जो उसके पास नहीं आती
दास्तान–ए इश्क अब सुनाई नहीं जाती ।
Vishal Kaushal
यह मेरी कविताओ की पहली किताब हैं। मैंने अपनी कविताओ के माध्यम से अपनी सोच को कागज पर ब्यान कर रहा हूँ। वक्त गुजरता गया चेहरा बदलता गया सोच बदलती गयी। नए लोग मिले, नए दोस्त बने पर कुछ लोग जिन्हें मैं आज भी याद करता हूँ और जिन्हें मैं आज भी याद हूँ।
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