Saturday, February 10, 2018

बदनाम ना थे

बदनाम ना थे
  
हम उनसे मोहब्बत से कर बैठे
जो मोहब्बत से अनजान ना थे ।
माना के तेरा नाम था
मगर हम भी इतने बदनाम ना थे ।

हम तेरी नज़रो में नहीं
चर्चे हमारे भी कुछ आम ना थे।
माना के तेरा नाम था
मगर हम भी इतने बदनाम ना थे ।


तेरे जवाब थे ऐसे
मेरे पास ऐसे सवाल ना थे ।
माना के तेरा नाम था
मगर हम भी इतने बदनाम ना थे ।

कभी समझा ही नही तुमने मुझको
हम इतने भी तो बेकार ना थे ।

माना के तेरा नाम था
मगर हम भी इतने बदनाम ना थे ।

ईमान तेरा था अगर
तो हम भी बेईमान ना थे ।
माना के तेरा नाम था
मगर हम भी इतने बदनाम ना थे ।

तेरी दुनिया है मगर
हम भी तो विरान ना थे ।
माना के तेरा नाम था
मगर हम भी इतने बदनाम ना थे ।

तु बादल है उस आसमान का
सपने हमारे भी बेजान ना थे।
माना के तेरा नाम था
मगर हम भी इतने बदनाम ना थे।


कोई चाहत तेरी होगी अगर
दिवाने हमारे भी कभी कम ना थे ।
माना के तेरा नाम था
मगर हम भी इतने बदनाम ना थे।

उस वक्त मगरूर थी तु
अफसाने मेरे भी कभी कम ना थे।
माना के तेरा नाम था
मगर हम भी इतने बदनाम ना थे ।


Vishal Kaushal 

यह मेरी कविताओ की पहली किताब हैं। मैंने अपनी कविताओ के माध्यम से अपनी सोच को कागज पर ब्यान कर रहा हूँ। वक्त गुजरता गया चेहरा बदलता गया सोच बदलती गयी। नए लोग मिले, नए दोस्त बने पर कुछ लोग जिन्हें मैं आज भी याद करता हूँ और जिन्हें मैं आज भी याद हूँ।
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