बचपन
बादल
हुआ, अब बारिश भी होने लगी
साकी
से फिर मोहब्बत होने लगी
बादलों
की आवाज से धरती अपना दामन भिगोने लगी।
भीग
गए यह हरे-हरे पत्ते
बारिश
में नाचते छोटे-छोटे बच्चे
सर्दी
से नानी जो उनको बचाने लगी
मुझे भी बचपन की यादें आने लगी।
मुझे भी बचपन की यादें आने लगी।
बूंदो
से छिप गए यह रास्ते
गरम
पकौड़े इस मौसम के नाश्ते
तेज
हवाऐं कुछ ऐसे चलने लगी
घर
की कमी सी खलने लगी।
बादल
अब यहाँ से जाने लगे
सड़को
पर लोग अब आने लगे
फिर
गाड़ियों की आवाज होने लगी
फिर
जिन्दगी अपना बचपन खोने लगी।
फिर
जिन्दगी अपना बचपन खोने लगी।
Vishal kaushal
यह मेरी कविताओ की पहली किताब हैं। मैंने अपनी कविताओ के माध्यम से अपनी सोच को कागज पर ब्यान कर रहा हूँ। वक्त गुजरता गया चेहरा बदलता गया सोच बदलती गयी। नए लोग मिले, नए दोस्त बने पर कुछ लोग जिन्हें मैं आज भी याद करता हूँ और जिन्हें मैं आज भी याद हूँ।
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