Tuesday, February 13, 2018

हिना के रंग

हिना के रंग

हिना के रंग के जैसे कुछ अपने भी रंग थे ।
हर सपना देखा, हर सपने मे तेरे संग थे ।
अब धुंदली धुंदली सी है मेरी कलम की सिहाई ।
शायद मेरी मोहब्बत की किताब के कागज ही कम थे ।

जब कभी मेरे दिल ने जिकर किया तेरा ।
फिर मेरी कलम ने भर दिया पुराना जख्म मेरा ।
अब दवा भी वे असर होने लगी।
कहाँ है वो रोशनी, कब होगा मेरे दामन में सवेरा ।

अब कलम जो मेरी रोने लगी ।
रात मुझको सुलाते – सुलाते खुद सोने लगी ।
सितारे क्यों मायुस हो रहे हैं ।
मेरी कहानी सुन चाँदनी जो रोने लगी ।

तूफान में बहती जा रही वो कश्ती ।
कागज पे कैसे बयान करू अपनी हसती ।
अब काँटे ही काँटे है राहो में ।
फूलो में कैसे ढूंढू अपनी बसती ।

दिल की धड़कन को कैसे समझाऊ ।
तेरे दिल के दर्पण में अपनी परछाई कैसे लाऊ ।
संदेशा भेजूं तो कैसे भेजूं ।
वो कागज, कलम लाऊ तो कहाँ से लाऊ ।

धक कर सोने लगी मेरी उमंग ।
अब तुम जो नही हो मेरे संग ।
जिंदगी की दीवारे खाली – खाली  सी है ।

मेरे दामन में नहीं है खुशी के रंग ।

Vishal Kaushal
यह मेरी कविताओ की पहली किताब हैं। मैंने अपनी कविताओ के माध्यम से अपनी सोच को कागज पर ब्यान कर रहा हूँ। वक्त गुजरता गया चेहरा बदलता गया सोच बदलती गयी। नए लोग मिले, नए दोस्त बने पर कुछ लोग जिन्हें मैं आज भी याद करता हूँ और जिन्हें मैं आज भी याद हूँ।
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