होली
कभी हम भी होली खेला करते थे
जब कभी हम भी जिन्दगी जिया करते थे ।
फिल्मो के गानो पे नाचना गाना
ये उस वक्त की बात है
जब हम कभी रंगों से मिला करते थे
कभी हम भी होली खेला करते थे
जब कभी हम भी जिन्दगी जिया करते थे ।
आज ये हाल है कि शोर कानो को अच्छा नहीं लगता
कभी इस शोर से हमारे कदम थरकने लगते थे
कभी हम भी होली खेला करते थे
जब कभी हम भी जिन्दगी जिया करते थे ।
गाढे रंगों से ड़र लगता है आज तो ये आलम है
तो कभी चेहरे पे लगे रंगो को उतार-उतार के औरो को लगा
दिया करते थे
कभी हम भी होली खेला करते थे
कभी हम भी होली खेला करते थे
जब कभी हम भी जिन्दगी ज़िया करते थे ।
तब तो शाम को घर जाने का दिल नहीं किया करता
और अब हम घर से निकलने से पहले
सौ बार सोच लिया करते है
कभी हम भी होली खेला करते थे
जब कभी हम भी जिन्दगी जिया करते थे ।
अब तो बस पैसा, नाम, प्यार, मतलब देखते है
उस वक्त तो हम किसी वक्त की परवाह नहीं किया करते थे
कभी हम भी होली खेला करते थे
जब कभी हम भी जिन्दगी जिया करते थे ।
Vishal Kaushal
यह मेरी कविताओ की पहली किताब हैं। मैंने अपनी कविताओ के माध्यम से अपनी सोच को कागज पर ब्यान कर रहा हूँ। वक्त गुजरता गया चेहरा बदलता गया सोच बदलती गयी। नए लोग मिले, नए दोस्त बने पर कुछ लोग जिन्हें मैं आज भी याद करता हूँ और जिन्हें मैं आज भी याद हूँ।
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